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कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप रह जाना पड़ता है, उनका कोई आदर नहीं करता और गुणहीन वाचाल व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता है।
पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन।
अब दादुर बक्ता भए, हमको पूछत कौन॥
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पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन ||रहीम के दोहे3
#रहीम
#पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन
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