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महर्षि दयानंद और आदि शङ्कराचार्य - एक तुलना - डॉ. ज्वलन्तकुमार शास्त्री जी के साथ धर्मचर्चा

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धर्मसम्राट

(00:00) Introduction
03:48 क्या महर्षि दयानन्द और शङ्कराचार्य का ईश्वर अलग है?
07:10 शंकराचार्य भी निराकार ब्रह्म को ही मानते थे।
10:17 वर्तमान के शंकराचार्य लोकसंग्रहार्थ यानी दिखावे के लिए मूर्तिपूजा करते है।
14:25 क्या महर्षि दयानन्द का ईश्वर बाधित है?
16:07 क्या परमात्मा बिना प्रकृति की सहायता के जगत बना सकता है?
22:38 शङ्कराचार्य ने स्वतन्त्र वेदभाष्य नहीं किया था।
25:49 वेद में अवतार शब्द ही नहीं है।
26:30 स्त्रीओ को वेद पढने का अधिकार है।
28:04 पौराणिक मानते है कि विदेशयात्रा पाप है।
32:05 स्वामी करपात्री जी शुद्धि या घरवापसी के विरोधी थे।
32:30 स्वामी करपात्री शुद्र के मन्दिर प्रवेश के विरोधी थे।
37:12 मिनाक्षीपुरम् में दलितो को अन्तिम संस्कार करने से ब्राह्मणोंने रोका था।
38:50 क्या स्वामी करपात्री पशुबलि को मानते थे?
41:07 क्या स्वामी करपात्री गौरक्षक थे?
48:00 क्या स्वामी करपात्री बडी हस्ती थे?
51:46 क्या ब्राह्मणग्रन्थ वेद है?
53:00 क्या शङ्कराचार्य जगत्गुरु है?
54:54 क्या महर्षि कपिल नास्तिक थे?
56:38 सांख्य शब्द से सायंस शब्द बना।
59:57 क्या शङ्कराचार्य की परंपरा व्यास से चली है?
01:02:20 क्या हिन्दूशब्द वैदिक है?

posted by Orisal0