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99% लोग नहीं जानते महाभारत के इन यौद्धाओं के बारे में | Mahabharat ke unsulghe rahasya | Yoddha 2022

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Rahasya Duniya Hindi

99% लोग नहीं जानते महाभारत के इन यौद्धाओं के बारे में | Mahabharat ke unsulghe rahasya | Yoddha 2022


भाग 1 , महाभारत के 18 रहस्य
   • महाभारत के 18 रहस्य | 18 Secrets of M...  



दोस्तों , महाभारत के युद्व में इतना खून बहा था कि वहां की मिट्टी पूरी तरह से लाल हो गयी थी । युद्व में मारे गये अधिकतर लोगों की लाशों को तो उनके परिजनों को दे दिये जाते थे , लेकिन फिर भी काफी सारी लाशें रण भूमि में ही पढ़े रहते थे । कहते हैं की गीता का ज्ञान अर्जुन के साथसाथ संजय , हनुमान जी और वहां पर उड़ रहे कुछ पक्षियों ने भी सुना था । युद्व के समय प्रतिदिन लाखों लोगों के लिये वहीं युद्ध भूमि के पास ही भोजन बनता था। और युद्ध के अंत में युदिष्ठिर की आज्ञा से पूरी युद्ध भूमि को जला दिया था ताकि किसी का भी सव ना बचे । और जो पितामाह भीष्म थे वो रोज पांडवों की 10 हजार सेना को मार देते थे । दोस्तों यदि आपको महाभारत की घटनाओं और यौद्धाओं के बारे में हैरान करने वाले रहस्यों को पूरा विस्तार से जानना , तो यह विडियो बिल्कुल आपके लिये है । महाभारत के अनसुलझे रहस्य सीरीज का यह पार्ट दो है । पहले पार्ट का लिंक विडियो के डिस्क्रिप्सन में है । उसे भी जाकर जरुर देखें । तो चलिये दोस्तों , बिना टाइम को बेस्ट किये विडियो को स्टार्ट करते हैं ।
1. सबसे पहले बात करते हैं दुर्योधन से जुड़े हुये कुछ रहस्यों के बारे में । दोस्तों , दुर्योधन को कलयुग का अवतार माना जाता है , क्योंकि दुर्योधन में वह सभी गुण मौजूद थे जो कलयुग के मनुष्य में होना चाहिये । और जो दुर्योधन के भाई पुलस्तय वंश के राक्षस के अंश थे । वायु पुराण में राक्षसों को पुलह , पुलस्त्य तथा अगस्त्य ऋषि की संतने माना गया है । दुर्योधन का जन्म सबसे पहले घड़े से हुआ था । जब इसका जन्म हुआ तो रोने की बजाय गधे जैसे रेंकने लगा था । और जन्म लेते ही बोलने भी लगा था । जैसे ही दुर्योधन का जन्म हुआ तो कयी तरह के अपसगुन होने लगे जैसे शियार जोर से रोने लगे , उल्लू सोर मचाने लगे , आसमन में अचानक काले बादल छा गये । इन घटनाओं को देखकर विदुर ने कहा कि यह अपसगुन बता रहे हैं कि यह बालक हस्तिनापुर के अंत का कारण बनेगा । इसे त्यागने में ही भलाई है । लेकिन पुत्र मोह के धृतराष्ट्र व गंधारी ने ऐसा करने से मना कर दिया । बढ़ा होने पर दुर्योधन कुटिल , क्रूर तथा गदा युद्व में पारंगत हो गया था । उसने शकुनि की चाल के तहत बालराम जी से गदायुद्ध करना सीख लिया था । महाभारत में भीम , दुर्योधन , जरासंध तथा बलराज जी को सबसे बढ़ा गदाधर माना जाता था ।

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posted by wenwynderuw