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ब्रेकअप को अपराध मानना ठीक नहीं नए कानून में शारीरिक संबंध को शादी से जोड़ने पर बहस.

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Legal expert in delhi

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ब्रेकअप से गुजरना एक भावनात्मक अनुभव है। आख़िरकार, किसी रिश्ते का ख़त्म होना, चाहे वह आदर्शवादी हो या रोमांटिक, एक प्रकार का दुःख है और दुःख से छुटकारा पाना कभी भी आसान नहीं होता है।
"ब्रेकअप आम तौर पर मुश्किल होता है, क्योंकि यह किसी ऐसी चीज का परिवर्तन, संक्रमण और हानि है जो एक बार, कई मामलों में, स्थिर और सुसंगत थी।" उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है, मनुष्य स्वाभाविक रूप से एकदूसरे के साथ संबंध की लालसा रखते हैं, इसलिए आपके द्वारा विकसित किए गए बंधन को छोड़ना वास्तव में मुश्किल हो सकता है, ब्रेकअप को अपराध मानना ठीक नहीं है. हालांकि, अगर कपल के बीच संबंध बने और ब्रेकअप हुआ, तो भारतीय न्याय संहिता की धारा69 के तहत आपराधिक मुकदमा कायम होगा. लेकिन, इसे रेप की धारा63 से अलग रखा गया है.
शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाने को रेप के दायरे से बाहर कर दिया गया, लेकिन इसे अलग से अपराध की श्रेणी में अभी भी रखा गया है। यानी महिला के साथ शादी का वादा कर कोई संबंध बनाता है और वादा पूरा करने की उसकी मंशा नहीं है, तो वह रेप नहीं होगा लेकिन अपराध होगा और उसमें 10 साल तक कैद की सजा हो सकती है।
ब्रेकअप पर मुकदमा
इसका मतलब यह हुआ कि कपल के बीच संबंध बने और ब्रेकअप हुआ तो आपराधिक मुकदमा कायम होगा अगर संबंध की बुनियाद शादी का वादा है। भारतीय न्याय संहिता की धारा69 के तहत ऐसे मुकदमे दर्ज होंगे। लेकिन उसे रेप की धारा63 से अलग कर दिया गया है। बदलती सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए इसे रेप से बाहर करना सराहनीय माना जा रहा है, लेकिन अभी भी इसे अपराध की श्रेणी में रखे जाने पर बहस चल रही है।
रेप की परिभाषा
न्याय संहिता के प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता में रेप की परिभाषा मौटे तौर पर वही है जो IPC में है, सिर्फ शादी का वादा कर संबंध बनाना इसमें रेप की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। नए कानून के मुताबिक अगर कोई शादी, नौकरी या प्रोमोशन का वादा कर संबंध बनाता है तो ऐसे मामलों को रेप नहीं माना जाएगा। इनमें दोषी पाए जाने पर अधिकतम 10 साल कैद की सजा हो सकती है।
ब्रेकअप अपराध नहीं
सुप्रीम कोर्ट कई बार कह चुका है कि ब्रेकअप कोई अपराध नहीं है। यह भी कि शादी का झूठा वादा करना और नेक नीयत से किए गए वादे का पूरा न होना दोनों में फर्क है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि आरोपी ने शादी का वादा किया हो, उसे निभाने का इरादा भी रखता हो लेकिन बाद में कुछ ऐसी परिस्थितियां बन जाएं जो आरोपी के कंट्रोल के बाहर हों। अदालत ने कहा था कि महिला अगर पुरुष के साथ लगातार संबंध में हो तो संबंध टूटना रेप का आधार नहीं हो सकता।
शारीरिक संबंध को शादी से जोड़ा बहरहाल इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कपल इस आधार पर संबंध बनाते हैं कि उन्हें शादी करनी है या फिर लड़के ने शादी का वादा किया है। लेकिन बाद में अगर लड़का शादी से इनकार कर देता है तो लड़की विचित्र स्थिति में पड़ जाती है। इस लिहाज से, नए कानून के जरिये ऐसी महिलाओं को प्रोटेक्ट करने की कोशिश की गई है। लेकिन इस कानून के दुरुपयोग की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। सहमति और फिर ब्रेकअप के बीच एक पतली सी लकीर है। इसे समाज के बदलते नजरिये से देखना जरूरी है क्योंकि देश में कई इलाके ऐसे हैं जहां शादी और शारीरिक संबंध को आपस में जोड़कर नहीं देखा जाता है।
अब भारतीय न्याय संहिता के तहत चूंकि ऐसे मामले रेप के दायरे से बाहर कर दिए गए हैं, इसलिए अगर ब्रेकअप के बाद केस दर्ज होता है और बात शादी तक पहुंचती है तो केस खारिज करने की अर्जी पर हाईकोर्ट परिस्थितियों को देखकर फैसला ले सकता है।
शादी का वादा कर संबंध बनाने को रेप के दायरे से बाहर करना एक अहम कदम है। इससे ब्रेकअप जैसे मामलों को रेप जैसे धब्बे से बचाने में मदद मिलेगी। लेकिन इसे अभी भी अपराध की श्रेणी में रखना बहस का विषय जरूर है। बदलते सामाजिक परिवेश में शारीरिक संबंध और शादी को एक साथ जोड़कर देखने के बजाय इसे अलग रखने की बात भी कही जा रही है जिस पर सोचने की जरूरत है।
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posted by bunkaryq