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गोरखा राज : जब कुमाऊं और गढ़वाल के लाखों लोगों को मंडियों में बेच दिया गया | Empire EPS06

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साल 1806. जून की एक दोपहर में अल्मोड़ा के गांवों में ढोलदमाऊ के साथ गोरखा सेना की एक टुकड़ी मुनादी कर रही थी. जनता को चेतावनी दी जा रही थी कि आज के बाद कोई भी महिला अपने घर की छत पर न जाए. और अगर कोई महिला कपड़े सुखाने, धूप सेकने या किसी भी काम से छत पर जाती है तो उससे भारी जुर्माना वसूला जाएगा. इस मुनादी के बाद अगले कई सालों तक कुमाऊँ और गढ़वाल की महिलाओं के लिए अपने ही घरों की छत पर निकलना वर्जित हो गया. जिस भी महिला ने इस वर्जना को तोड़ा, उसके परिजनों को इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. कभी उन्हें दास बनाकर बेच दिया गया तो कभी मृत्युदंड तक दे दिया गया.

गोरखा शासन में महिलाओं पर पाबंदी सिर्फ़ यहीं तक सीमित नहीं थी. कोई विवाहित महिला अगर किसी अंजान व्यक्ति से बात करते हुए देख ली जाती तो तलवार से उसकी नाक काट दी जाती और उस पुरुष की गर्दन उतार कर चौराहे पर टांग दी जाती. लोगों की ऐसी निर्मम हत्या करने के बाद उनके शरीर को किसी ऊँचे स्थान पर लटका दिया जाता ताकि गिद्ध उसे नोच सकें.

हॉलीवुड की पीरियड फिल्म सरीखी ये बातें आपको शायद तालिबान के शासन की याद दिला रही हों. लेकिन ये दमन हमारे ही पुरखों के ऊपर सालों तक होता रहा है. उस दौर में जिसे इतिहास गोर्खाणी के नाम से जानता है. वही गोर्खाणी, जो दुनिया के सबसे क्रूर शासनकालों में से एक है, जहां लोगों की हत्या कर देना और उन्हें ग़ुलाम बनाकर बेच देना एक सामान्य चलन था और जहां अनाजों से ज़्यादा महिलाओं और बच्चों की मंडियाँ सजा करती थी.

Empire के आज के इस एपिसोड में हम आपको उसी गोर्खाणी की कहानी सुनाने जा रहे हैं. लेकिन इस कहानी को आगे बढ़ाने से पहले ये बता देना भी ज़रूरी है कि इसे इतिहास में घटित हुए एक कालखंड के रूप में ही देखा जाए. वह कालखंड जब नेपाल के राजाओं और सेना ने गढ़वाल और कुमाऊँ में शासन किया, लूट की और अत्याचार भी किए. लगभग वैसे ही अत्याचार जैसे गढ़वाली सेना ने कभी सिरमौर रियासत पर किए तो कभी तिब्बत पर, जिसे उस वक्त दोलपा भी कहा जाता था. लिहाज़ा आज की कहानी में इतिहास के जिस काले अध्याय का जिक्र है, उसे किसी भी तरह वर्तमान में द्वेष का कारण या आधार न बनाया जाए. वैसे भी ये अध्याय गोरखा समाज या नेपाल की आम जनता की बात नहीं करता. वहां की जनता तो उस दौर में ख़ुद भी वही दमन झेल रही थी जो हर राजशाही में जनता झेलती ही है. इसलिए इस कहानी में आगे बढ़ने से पहले ये दोहराना जरूरी है कि ‘दमन हमेशा सत्ता करती हैं, कोई समाज नहीं.’

स्क्रिप्ट: मनमीत

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posted by reperiree6