आदिबद्री से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मनमोहक छटाओं से भरपूर एक गॉंव सिलपाटा की. सिलपाटा गॉंव चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक में स्थित है. यहाँ तक पहुँचने के लिए आपको छोटेछोटे गाँवों प्यूरा, लंगटाई, पज्याना, सुगड़, छिमटा आदि से होकर गुज़रना पड़ता है. सड़क वनवे और संकरी है और ज़्यादा ट्रैफिक न होने की वजह से ठीक हालत में है. इस छोटी सी यात्रा का सबसे रोचक पहलू है सड़क का एकदम खड़ी चढ़ाई पर होना जैसा कि अमूमन लद्दाख की सड़कों में महसूस किया जाता है. यहॉं आने से पहले आपके वाहन को खड़ी चढ़ाई पर आसानी से चलने का डोप टेस्ट पास करना होगा अन्यथा दिक्कत पेश आ सकती है.
संकरी और घुमावदार सड़क में घाटी की ओर से आपकी तरफ आती सफेद बादलों की चादर देख ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रकृति आपको खुद में समेट लेना चाहती है. हर मोड़ पार करने के साथ ही मन करता है कि गाड़ी एक किनारे लगाऊँ और प्रकृति के सारे रंगो को अपनी ऑंखों व कैमरे में कैद कर लूँ. सावन के मौसम में प्रकृति अपने सैकड़ों रंग घाटी में बिखेर देती है. चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है. कई बार आप घाटी में इतना ऊपर पहुँच जाते हैं कि बादल आपको घाटी में तैरते नजर आते हैं.
घाटी में बने नीले रंग के घरों को देख ऐसा प्रतीत होता है जैसे नीले आसमान का एक टुकड़ा घाटी में गिर गया हो. सीढ़ीनुमा खेतों में लहलहाती झंगूरे की खेती एक ऊर्ध्वाधर घास के मैदान सी नजर आती है. इसी बीच अगर बूँदाबाँदी होने लगे तो ऐसा लगता है जैसे दूर कहीं घाटी में बारिश पहाड़ों का जलाभिषेक कर रही है. चारों ओर एक मनमोहक छटा बिखर जाती है जिसे शब्दों में बयॉं कर पाना आसान नहीं है.
कहने को तो सिलपाटा उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में कोई अहम जगह नहीं रखता लेकिन आदिबद्री तक जाने वाले पर्यटकों को समय निकालकर यहॉं जरूर जाना चाहिये. बेशक आप आदिबद्री में ही रूकें लेकिन 23 घंटे में आप प्रकृति के इस अद्भुत नजारे को अपनी सुंदर यादों का हिस्सा बना सकते हैं. मेरे हिसाब से सावन का मौसम प्रकृति के इस नायाब तोहफे को अपना बनाने का सबसे अच्छा मौसम है.
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