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MS. ARCHANA SHENOY KAMATH -RAGA CHHAYA NAT SARASWATI ADANA u0026 KABIR BHAJAN CURATED BY MIHIR THAKORE

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MIHIR THAKORE-HINDUSTANI CLASSICAL MUSIC

ACCOMPANISTSTABLA: SRI YOGEESH BHAT; HARMONIUM: SRI SURYA UPADHYA

BANDISHES

राग छायानट
विलंबित एकताल
एरी अब गूंध लाओ मालनिया
नौ शोबने के सीस सेरा

अंतरा
लागी लगन सुलतान सलेम की
बनरे बनी संग लागो नेहा

धुत तीनताल
घर जाने दे मोर मन बसैया
फंस गई हूं मैं तेरी ध्यान में
अंतरा
सास ननद मोरी बन गई बैरन
सब मिले हमको हसी उदावत
मान ले अब मोरी बतिया
पंडित विनायक तोरवी


राग सरस्वती
मध्यलय झपताल
करत रहो गुरु ध्यान
सुन लीजो मनवा

अंतरा
निस दिन घड़ी पल
यह पहल मूरत
बिन गुरु के दर्शन
कटे दिन मनवा
_ पंडित विनायक तोरवी


धृत तीनताल
सरसती माता माता
सकल जगत को तुम ही दाता

अंतरा
हम सब सेवक गायन वादन
श्रुति लय सुर प्राण के समान
तुम ही दाता
पंडित विनायक तोरवी


राग अड़ाना कानडा

विलंबित तीनताल
एरी मोहे जाने दे री माई
शाम सुंदरवा के संगवा

अंतरा
लोक लाज नहीं लज हूं लाग रही हूं
मैं उन की ही घरवा

ध्रुत तीनताल
गगरी मोरी भरन न देत
ढीठ लंगरवा तु मतवारो

अंतरा
जीत जाओ उट आदो ही औरत
अब न रहूंगी तोरी नगरी

कबीर भजन
भजो रि भैया राम गोविंद हरे
जप तप साधन कछु नही लागत
खरचत नही गठरी।।१।।

सन्तत संपत सुख के कारण
जा सो भूल पड़ी।।२।।

कहत कबीर जा मुख रा मन सो
वो मुख धूल भरी ।।३।।

posted by vileji8z