सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य के लोगों के कल्याण और सरकारी खजाने पर आर्थिक दबाव के बीच संतुलन बनाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों की ओर से मुफ्त की वस्तुएं और सेवाएं बांटने के मामले में सभी पक्षों से 17 अगस्त तक जवाब मांगा है। सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कुछ अहम बातें कहीं है। अदालत ने यह साफ कर दिया कि वह मुफ्त सौगात देने की घोषणा करने वाली पार्टियों की सदस्यता रद्द करने के मामले की सुनवाई नहीं करेगी। अदालत ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पैसे के नुकसान और कल्याणकारी कदमों के बीच संतुलन कायम करना होगा। मुद्दा आपका में आज चर्चा करेंगे और समझेंगे कि कल्याणकारी योजनाओं की सीमा कहां तक है, और किस सीमा से शुरू होती है मुफ्त की सौगातें। क्या हैं इसके समर्थन और इसके विरोध में तर्क। क्या और किस पर होता है इनका कैसा प्रभाव। आम जनता खासकर गरीबों के लिए क्या है लाभकारी और कब पड़ता है अर्थव्यवस्था पर बोझ।
Guests:
1 Preeti Sudan, Former Health Secretary,GoI
2 Prof. Arvind Mohan, Department of Economics,University of Lucknow
3 Sangram Patnaik, Advocate, Supreme Court
Anchor: Preeti Singh
Producer: Pardeep Kumar
Production: Surender Sharma
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