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अथर्ववेद की पिप्पलाद शाखा के ब्राह्मण भाग से सम्बन्धित इस उपनिषद में जिज्ञासुओं द्वारा महर्षि पिप्पलाद से छह प्रश्न पूछे गये हैं।
01:54►पहला प्रश्न (कात्यायन कबन्धी) यह प्रजा किससे उत्पन्न होती है?
12:12►दूसरा प्रश्न (ऋषि भार्गव) प्रजा धारण करने वाले देवताओं की संख्या कितनी है और उनमें वरिष्ठ कौन है?
19:24►तीसरा प्रश्न (कौसल्य आश्वलायन)—'प्राण' की उत्पत्ति कहां से होती है, यह शरीर में कैसे प्रवेश करता है और कैसे बाहर निकल जाता है तथा कैसे दोनों के मध्य रहता है?
27:30►चौथा प्रश्न (गार्ग्य ऋषि) इस पुरुष देह में कौनसी इन्द्री शयन करती है और कौनसी जाग्रत रहती है? कौनसी इन्द्री स्वप्न देखती है और कौनसी सुख अनुभव करती है? ये सब किसमें स्थित है?'
35:30►पांचवा प्रश्न (सत्यकाम)— जो मनुष्य जीवन भर 'ॐ' का ध्यान करता है, वह किस लोक को प्राप्त करता है?'
45:35►छटवा प्रश्न ( सुकेशा भारद्वाज )—कौसल देश के राजपुरुष हिरण्यनाभ ने सोलह कलाओं से युक्त पुरुष के बारे में मुझसे प्रश्न किया था, परन्तु मैं उसे नहीं बता सका। क्या आप किसी ऐसे पुरुष के विषय में जानकारी रखते हैं?