मासूमियत, मौज मस्ती, खेल कूद, बदमाशी और बहुत सारी ऊर्जा यानी बचपन। बचपन जीवन का वो स्वर्णिम दौर होता है। जब किसी भी प्रकार की कोई टेंशन नहीं होती, कोई जवाबदेही नहीं होती, सब कुछ नया होता है और ये रंग बिरंगी दुनिया हमें अपनी ओर खींच रही होती है। धीरेधीरे चलना, गिर पड़ना और फिर से उठकर दौड़ने... कोई डांटे तो मां के आंचल में जाकर छुप जाना। मां की लोरियां सुनकर वो चैन की नींद सो जाना, दादी की गोदी में वो परियों के किस्से कहानियां, जिंदगी के ये सबसे सुकून भरे पल हमें जिंदगी भर याद रहते हैं। बचपन का खेल कूद और किस्से कहानियां हमें जीवन भर शिक्षा देते हैं। हर परिस्थिती से लड़ने और निपटने की ताकत देते हैं। कहते हैं बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं। उन्हें किसी भी रूप में ढाला जा सकता है पर आपका स्वभाव, आपके विचार, आपके संस्कार और आपका स्वास्थ काफी हद तक आपके बचपन पर ही निर्भर करता है। बचपन की अच्छी परवर्रिश, आपका सही मायनों में शारीरिक, मानसिक विकास करती है। इसीलिए हर इंसान को एक खुशनुमा बचपन मिले ये बहुत ज़रूरी है। पूरी दुनिया में 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस मनाया जाता है। जबकी भारत में ये बाल अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाल दिवस का मकसद बच्चों के अधिकार, उनकी देखभाल और ज़रूरी शिक्षा के लिए सबको जागरुक करना है। अगर जागरुकता होगी तो बच्चे अपने हक़ की आवाज उठा सकेंगे। क्योंकि बाल शोषण, बाल मजदूरी और बाल तस्करी जैसे अपराध आज किसी से छिपे नहीं हैं। इसीलिए बच्चों की सुरक्षा बहुत ज़रूरी है। आज विशेष के इस अंक में हम बात करेंगे विश्व बाल अधिकार दिवस की, जानेंगे क्या हैं बाल अधिकार, समझेंगे भारत में बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण और अधिकार से जुड़े कानूनों को...
Anchor Vaibhav Raj Shukla
Producer Rajeev Kumar, Ritu Kumar, Abhilasha Pathak
Production Akash Popli
Reporter Bharat Singh Diwakar
Graphics Nirdesh, Girish, Mayank, Akash Popli
Video Editor Sheetal Koul, Vijender kumar, Faizal