आजादी के बाद से श्रमिक वर्ग का इतिहास संघर्ष भरा रहा है। अलगअलग किस्म के शारीरिक श्रम और उद्योग धंधों में लगे श्रमिकों को अपने कार्यक्षेत्र में बुनियादी ज़रूरतें हासिल करने के लिए बड़े संघर्षों से गुज़ारना पड़ा है। फिर वह चाहे काम के निश्चित घंटों की बात हो या काम करने की जगह की सुरक्षा, वेंटिलेशन, रोशनी, साफ़ सफाई जैसे मूलभूत मुद्दे हों। इस समय देश का श्रमिक वर्ग कम मेहनताना, अस्थायी नौकरी, असुरक्षित कार्यक्षेत्र, मशीनीकरण, बाल मजदूरी, महिलाओं को असमान वेतन, निजीकरण जैसी कई मुश्किलों से जूझ रहा है। हालात ये है कि भारत के मजदूर और दूसरे कार्यों में लगे श्रमिकों के मुददों पर विचार विमर्श ज़रूर होना चाहिए। श्रमिको से जुड़ी इन्ही तमाम चिंताओं को दूर करने के लिये संसद के मॉनसून सत्र से तीन श्रम संहिता पास किये गये...तो आज विशेष में इन्ही श्रम संहिता के स्वरूप को समझने का प्रयास करेंगे...जानने की कोशिश करेंगे कि इनके जरिये किस तरह श्रमिकों के जीवन में बदलाव आयेगा।
Anchor – Ghanshyam Upadhaya
Script Ritu Kumar, Rajeev Kumar
Production – Akash Popli
Graphics Nirdesh, Saurav, Rupesh
Editing – Jaspal singh Joban, Ashish Katoch