शिव हूं मैं मैं ही हूं शंकर शिव कविता हिंदी में। shiv hu main hi shankar kavita hindi me।#jaibhole
मैं शिव हूं,मैं ही हूं शंकर,
सौम्य हूं मैं,मैं रूद्र भयंकर.
मृत अमृत के बीच का अंतर,
मैं शिव हूं मैं ही हूं शंकर.
विश्वामित्र का ज्ञान भी मैं हूं,
परशुराम का मान भी मैं हूं,
कृष्ण सुदर्शन में भी मैं हूं,
नारी का सम्मान भी मैं हूं.
तांडव भी मैं नृत्य भी मैं हूं,
जग मिथ्या है सत्य भी मैं हूं,
प्रेम भी मैं हूं कष्ट भी मैं हूं,
सूर्योदय मैं अस्त भी मैं हूं.
सर्द भी मैं हूं गर्म भी मैं हूं,
वेद शास्त्र का मर्म भी मैं हूं,
फल भी मैं हूं कर्म भी मैं हूं,
सबसे ऊंचा धर्म भी मैं हूं.
सिंधु की ऊंची लहर भी मैं हूं,
प्रतिपल, प्रतिक्षण, प्रहर भी मैं हूं,
धूप , छांव और सहर भी मैं हूं,
इस प्रकृति का कहर भी मैं हूं.
सम्पूर्ण भी मैं हूं अंश भी मैं हूं,
सृजन हूं मैं विध्वंस भी मैं हूं,
शून्य भी मैं हूं अंक भी मैं हूं,
आदि हूं मैं अंत भी मैं हूं.
जीत भी मैं हूं हार भी मैं हूं,
पंचतत्व का सार भी मैं हूं,
अदृश्य भी हूं, अविनाशी हूं मैं,
सम्पूर्ण विश्व का भार भी मैं हूं.
उत्तर मैं हूं सवाल भी मैं हूं,
पृथ्वी पर विपदा कराल भी मैं हूं,
जीवन भी हूं और काल भी मैं हूं,
शक्तिमान महाकाल भी मैं हूं.
दुर्गा का श्रृंगार भी मैं हूं,
लक्ष्मण का प्रतिकार भी मैं हूं,
खड्ग भी मैं हूं ढाल भी मैं हूं,
तलवारों की धार भी मैं हूं.
युद्ध भी मैं हूं शांत भी मैं हूं,
कोलाहल, एकांत भी मैं हूं,
वेद भी मैं, वेदांत भी मैं हूं,
ज्ञानों का सीमांत भी मैं हूं.
गगन हूं मैं, धरती भी मैं हूं,
ब्रह्माण्ड चलाऊं वो शक्ति मैं हूं,
काली मैं, भक्ति भी मैं हूं,
प्रेम भी मैं, विरक्ति भी मैं हूं.
मानो तो भगवान हूं मैं,
न मानो तो पत्थर कंकर
मृत अमृत के बीच का अंतर,
मैं शिव हूं मैं ही हूं शंकर
सौम्य हूं मैं मैं रूद्र भयंकर.