Get real, active and permanent YouTube subscribers
Get Free YouTube Subscribers, Views and Likes

अपने अंदर की आत्मा को पहचानें || Shri Mataji Speech

Follow
DIVINE SAHAJYOG

अपने अंदर की आत्मा को पहचानें || Shri Mataji Speech


इस वीडियो में श्री माताजी ने बताई हुई है सबसे पहले जान लेना चाहिए कि हमारे अन्दर जो बहुत सी त्रुटियाँ हैं, उसका कारण है कि हम लोगों ने धर्म को समझा नहीं है। जो कुछ धर्म मात्तंडों ने बता दिया, हमने उन्हीं को सत्य मान लिया। उन्होंने कहा कि आईये आप कुछ अनुष्ठान करिये, या कुछ पूजापाठ करिये और या हर तरह की चीज़ें बनायी गयी। मुसलमानों को भी इस तरह से पढ़ाया गया कि तुम अगर इस तरह से नमाज़ पढ़ो, और इन मुल्लाओं के कहने पे चलो तो तुम्हें मोक्ष मिल जाएगा। अब मनुष्य सोचने लगा कि ऐसा तो कुछ हुआ नहीं। ऐसी तो कोई प्राप्ति हुई नहीं। फिर ये है क्या? ये कर्मकाण्डों में हम फिर क्यों फसे हुए हैं? और ये कर्मकाण्ड हमें बहुत ही गहरे अन्धकार में ले जाते हैं।

हम लोग सोचते हैं कि उस कर्मकाण्ड से हम कुछ पा लेंगे सो किसी ने कुछ पाया नहीं। जन्मजन्मान्तर से लोगों ने कितने कर्मकाण्ड किये हैं। उन्होंने क्या पाया? अब पाने का समय भी आ गया। आज इस कलियुग में ये समय आ गया है, ऐसा आया है कि आपको सत्य प्राप्त हो। सत्य की प्राप्ति यही सबसे बड़ी चीज़ है और सत्य ही प्रेम है, और प्रेम ही सत्य है। इसकी ओर आप जरा विचार करें कि हम सत्य को खोजते हैं तो सोचते हैं कि सन्यास ले लें, हिमालय पे जाएं। अपने बाल मुण्डवा लें और और तरह की चीज़ें करें। जब सत्य का वास अन्दर है तो ये बाह्य की चीज़ों से और उपकरणों से क्या होने वाला है। इससे तो मनुष्य पा नहीं सकता सत्य को। क्योंकि इसके साथ कुछ सत्य लिपटा ही नहीं है। तो करना क्या है? करना ये है कि आपके अन्दर जो सुप्त शक्ति कुण्डलिनी की है, उसे जागृत करना है। अब कुण्डलिनी की शक्ति आपके अन्दर है या नहीं, ऐसी शंका करना भी व्यर्थ है। हर एक इन्सान के अन्दर त्रिकोणाकार अस्थी में कुण्डलिनी की शक्ति है। और उसे जागृत करना बहुत ही जरुरी है जिससे कि आप उस चीज़ को आप प्राप्त करें जिसे मैं कहती हूँ, ‘सत्य’, ‘वास्तविकता’। सबने कहा है कि, ‘अपने को जानो, अपने को पहचानो।’ लेकिन कैसे? हम तो अपने आपको जानते ही नहीं है। हम जो हैं अपने अन्दर से, ना जाने कितनी त्रुटियों से भरे हुए हैं। लोभ, मोह, मद, मत्सर सब तरह की चीज़़ें हमारे अन्दर हैं। और हम ये समझ नहीं पाते कि ये कहाँ से सब आ रही है, और क्यों हमें इस तरह से ग्रसित किया हुआ है। इस चीज़ को अगर आप ध्यान पूर्वक समझे तो एक बात है कि ये त्रुटियाँ जो हैं ये सब बाह्य की हैं। आत्मा शुद्ध निरन्तर है, उसके ऊपर कोई भी तरह की लांछना नहीं आती है
चैतन्य से एकाकारिता के लिए कुण्डलिनी ही उसका मार्ग है, और कोई मार्ग नहीं। कोई कुछ भी बतायें और कोई मार्ग है ही नहीं


Reference : 2001 0325 ( part 1 ) || Divine Sahajyog

#shreenirmaladevi #सहजयोगध्यान #श्रीमाताजी #सहजयोग
#shrimataji #sahajayoga #divinesahajyog #कुंडलिनीकाजागरण
#कुण्डलिनीकीशक्ति #धर्म #कुण्डलिनीहीउसकामार्ग #shreemataji

More Query // Topic cover

Shree Nirmala Mataji
Shri Nirmala Mataji Sahajyog speech
Shree nirmala mataji speech in Hindi
कुंडलिनी का जागरण से || Shri Mataji Speech
कुण्डलिनी की शक्ति || Shri Mataji Speech
कुण्डलिनी ही उसका मार्ग || Divine Sahajyog

SHARE & SUPPORT DIVINE SAHAJYOG
THANKS

DIVINE SAHAJYOG

Also visit www.divinesahajyog.com



Some more video playlist

Shri Nirmala Mataji Speech
   • Shri Nirmala mataji Speech  

Mantra Chakra Cleansing & Balancing
   • Mantra Chakra Cleansing & Balancing S...  

Sahaja Yoga Bhajans || Shri Nirmala Mataji
   • Sahaja Yoga Bhajans   || Shri Nirmala...  

Raag Mantras for Therapy Sahajyog
   • Raag Mantras for Therapy Sahajyog  

SahajaYoga Treatment
   • SahajaYoga Treatment  



SUBSCRIBE : www.divinesahajyog.com

❤ YouTube
   / @divinesahajyog  
Facebook Page
  / divinesahajyog  
Facebook Page
  / divinesahajyogyt  
Instagram
  / divinesahajyog  
Website www.divinesahajyog.com



Disclaimer: This channel DOES NOT promotes or encourages any activities and all content provided by this channel is meant for EDUCATIONAL PURPOSE only.

Copyright Disclaimer: Under section 107 of the copyright Act 1976, allowance is mad for FAIR USE for purpose such a as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship and research.

Fair use is a use permitted by copyright statues that might otherwise be infringing. Non Profit, educational or personal use tips the balance in favor of FAIR USE.

posted by senovillaqy