अवर्तनशील खेती, कृषि की ऐसी पद्धति है जो बुंदेलखंड में प्रचलित है। कृषि की यह पद्धति सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व (Harmonious Coexistence) के सिद्धांत पर आधारित है। इसमें भूमि को अनाज की फसलों, सब्जियों, फलदार वृक्षों और पशुपालन के लिए विभाजित करना शामिल है। खेती की तकनीक इस बात पर जोर देती है कि किसानों को पहले अपने लिए भोजन पैदा करना चाहिए और उपभोग के बाद जो बचता है उसे बाजार में बेचना चाहिए। इस तरह, यदि किसान अपने लिए फसल उगा रहे हैं तो वे कभी भी हानिकारक कीटनाशक और उर्वरक नहीं डालेंगे।
बांदा के किसान प्रेम सिंह अवर्तनशील खेती करते हैं। उनकी बगिया देखने अमेरिका, जर्मनी, इटली समेत 25 से अधिक देशों से लोग आ चुके हैं। देश के विभिन्न राज्यों से लोग प्रेम सिंह से खेती का प्रशिक्षण लेने भी आते हैं। बांदा के किसान प्रेम सिंह से जानें क्या है अवर्तनशील खेती..
#GaonJunction के लिए Shailesh Arora की रिपोर्ट..
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HIGHLIGHTS
प्रेम सिंह की बगिया देखने अमेरिका, जर्मनी, इटली समेत 25 से अधिक देशों से आ चुके हैं लोग
अवर्तनशील खेती में जितना प्रकृति से लो, उतना उसे वापस भी दो
जल संतुलन, वायु संतुलन, ताप संतुलन, उर्वरा और ऊर्जा संतुलन पर आधारित खेती
खेती का ऐसा मॉडल जिसमें सिर्फ मुनाफा ही मुनाफा
देश के विभिन्न राज्यों से खेती का प्रशिक्षण लेने आते हैं लोग
खेती के इस मॉडल में जल संरक्षण, बागवानी, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण शामिल
खेती का ऐसा आत्मनिर्भर मॉडल जिसमें किसान को कुछ भी बाजार से नहीं लेना
बुंदेलखंड के इस किसान को खेती के लिए नहीं होती पानी की समस्या
प्रेम सिंह से फसल व उत्पाद खरीदने फार्म पर खुद आते हैं लोग
3 दशक से अधिक समय से कर रहे जैविक तरीके से खेती
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